मियाँ नसीरुद्दीन summary | मियाँ नसीरुद्दीन पाठ का सारांश

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मियाँ नसीरुद्दीन पाठ का सारांश

मियाँ नसीरुद्दीन शब्दचित्र हम-हशमत नामक संग्रह से लिया गया है। इसमें खानदानी नानबाई मियाँ नसीरुद्दीन के व्यक्तित्व, रुचियों और स्वभाव का शब्दचित्र खींचा गया है। मियाँ नसीरुद्दीन अपने मसीहाई अंदाज से रोटी पकाने की कला और उसमें अपनी खानदानी महारत बताते हैं। वे ऐसे इंसान का भी प्रतिनिधित्व करते हैं जो अपने पेशे को कला का दर्जा देते हैं और करके सीखने को असली हुन मानते हैं।

लेखिका बताती है कि एक दिन वह मटियामहल के गढ़या मुहल्ले की तरफ निकली तो एक दुकान पर आटे का ढेर सनते देखकर उसे कुछ जानने का मन हुआ। पूछताछ करने पर पता चला कि यह खानदानी नानबाई मियाँ नसीरुद्दीन की दुकान है। ये छप्पन किस्म की रोटियाँ बनाने के लिए मशहूर हैं। मियाँ चारपाई पर बैठे बीड़ी पी रहे थे। उनके चेहरे पर अनुभव और आँखों में चुस्ती व माथे पर कारीगर के तेवर थे। लेखिका के प्रश्न पूछने की बात पर उन्होंने अखबारों पर व्यंग्य किया। वे अखबार बनाने वाले व पढ़ने वाले दोनों को निठल्ला समझते हैं। लेखिका ने प्रश्न पूछा कि आपने इतनी तरह की रोटियाँ बनाने का गुण कहाँ से सीखा? उन्होंने बेपरवाही से जवाब दिया कि यह उनका खानदानी पेशा है। इनके वालिद मियाँ बरकत शाही नानबाई थे और उनके दादा आला नानबाई मियाँ कल्लन थे। उन्होंने खानदानी शान का अहसास करते हुए बताया कि उन्होंने यह काम अपने पिता से सीखा।

नसीरुद्दीन ने बताया कि हमने यह सब मेहनत से सीखा। हमने छोटे-छोटे काम-बर्तन धोना, भट्ठी बनाना, भट्ठी को आँच देना आदि करके यह हुनर पाया है। तालीम की तालीम भी बड़ी चीज होती है। खानदान के नाम पर वे गर्व से फूल उठते हैं। उन्होंने बताया कि एक बार बादशाह सलामत ने उनके बुर्जुगों से कहा कि ऐसी चीज बनाओ जो आग से न पके, न पानी से बने। उन्होंने ऐसी चीज बनाई और बादशाह को खूब पसंद आई। वे बड़ाई करते हैं कि खानदानी नानबाई कुएँ में भी रोटी पका सकता लेखिका ने इस कहावत की सच प्रश्नचिहन लगाया तो वे भड़क उठे। लेखिका जानना चाहती थी कि उनके बुजुर्ग किस बादशाह के यहाँ काम करते थे। अब उनका स्वर बदल गया। वे बादशाह का नाम स्वयं भी नहीं जानते थे। वे इधर-उधर की बातें करने लगे। अंत में खीझकर बोले कि आपको कौन-सा उस बादशाह के नाम चिट्ठी पत्री भेजनी है।

लेखिका से पीछा छुड़ाने की गरज से उन्होंने बब्बन मियाँ को भट्टी सुलगाने का आदेश दिया। लेखिका ने उनके बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि वे उन्हें मजदूरी देते हैं। लेखिका ने रोटियों की किस्में जानने की इच्छा जताई तो उन्होंने फटाफट नाम गिनवा दिए। फिर तुनक कर बोले तुनकी पापड़ से ज्यादा महीन होती है। फिर वे यादों में खो गए और कहने लगे कि अब समय बदल गया है। अब खाने-पकाने का शौक पहले की तरह नहीं रह गया है और न अब कद्र करने वाले हैं। हर व्यक्ति जल्दी में है।


मियाँ नसीरुद्दीन पाठ के शब्दार्थ

मियाँ नसीरुद्दीन पाठ के शब्दार्थ नीचे दिए गए हैं-

  1. साहबों-दोस्तों
  2. अपन-हम
  3. हज़ारों-हजार-अनगिनत
  4.  मसीहा-देवदूत
  5. धूमधड़क्के-भीड़
  6. नानबाई-रोटी बनाने और बेचने वाला
  7. लुत्फ-आनंद
  8.  अंदाज-ढंग
  9. आड़े-तिरछे
  10. निहायत-बिल्कुल
  11. पटापट-पट-पट की आवाज़
  12.  सनते-मलते
  13. काइयाँ-चालाकी
  14.  पेशानी-माथा
  15.  तेवर-मुद्रा
  16. पंचहज़ारी-पाँच हज़ार सैनिकों का अधिकारी
  17. अखबारनवीस-पत्रकार
  18. खुराफ़ात-शरारत
  19. निठल्ला-खाली
  20. किस्म-प्रकार
  21.  इल्म-ज्ञान
  22.  हासिल-प्राप्त
  23.  कंचे-पुतली
  24. तरेरकर-तानकर
  25.  नगीनासाज़-नगीना जड़ने वाला
  26. आईनासाज-दर्पण बनाने वाला
  27. मीनासाज-सोने-चाँदी पर रंग करने वाला
  28.  रफूगर-फटे कपड़ों के धागे जोड़कर पहले जैसा बनाने वाला
  29. रँगरेज़-कपड़े रंगने वाला
  30. तंबोली-पान लगाने वाला
  31.  फरमाना-कहना
  32. खानदानी-पारिवारिक
  33. पेशा-धंधा
  34. वालिद-पिता
  35.  उस्ताद-गुरु
  36. अख्तियार करना-स्वीकार करना
  37. हुनर-कला
  38. मरहूम-स्वर्गीय उठ जाने-मृत्यु हो जाने
  39. ठीया-जगह
  40. लमहा-क्षण
  41.  आला-श्रेष्ठ
  42. नसीहत-सीख
  43. बजा फरमाना-ठीक कहना
  44.  कश खींचना-साँस खींचना
  45. अलिफ-बे-जीम-फारसी लिपि के अक्षरों के नाम। सिर पर धरना-सिर पर मारना
  46. शागिर्द-चेला
  47. परवान करना-उन्नति की तरफ बढ़ना
  48. मदरसा-स्कूल
  49. कच्ची-औपचारिक कक्षा, पहली कक्षा से पहले की पढ़ाई
  50. जमात-श्रेणी
  51. दागना-प्रश्न करना
  52. मैंजे-कुशल तरीके से
  53. जिक्र-वर्णन
  54. बहुतेरे-बहुत अधिक
  55. चक्कर काटना-घूमते रहना
  56.  जहाँपनाह-राजा
  57. रंग लाना-मजेदार बात कहना बेसब्री-अधीरता
  58. रुखाई-रुखापन
  59. इत्ता-इतना
  60.  गढ़ी-रची
  61. करतब-कार्य
  62. लौंडिया-लड़की
  63. रूमाली-रूमाल की तरह बड़ी और पतली रोटी
  64.  जहमत उठाना-कष्ट उठाना
  65. कूच करना-मृत्यु होना
  66. मोहलत-समय सीमा
  67.  मज़मून-विषय
  68. शाही बावचीखाना-राजकीय भोजनालय
  69. बेरुखी-उपेक्षा से
  70. बाल की खाल उतारना-अधिक बारीकी में जाना
  71.  खिसियानी हँसी-शर्म से हँसना
  72. वक्त-समय
  73. खिल्ली उड़ाना-मज़ाक उडाना
  74. रुक्का भेजना-संदेश भेजना
  75. बिटर-बिटर-एकटक
  76. अंधड़-रेतीली आँधी, तीव्र भाव
  77. आसार-संभावना
  78. महीन-पतली
  79. कौंधना-प्रकट होना
  80. गुमशुदा-भूली हुई
  81.  कद्रदान-कला के पारखी

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